ट्रेडिंग रणनीति योजना कैसे बनाएं

प्रत्येक निवेशक चाहे वह शुरुवाती हो या प्रोफेशनल में कुछ न कुछ समान होता है – अर्थात्, एक अच्छी तरह से निर्मित ट्रेडिंग रणनीति की आवश्यकता।

आश्चर्यजनक रूप से, कई वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि पैसिव (निष्क्रिय) निवेशकों का रिटर्न सबसे अधिक है। बाजार में लगातार लेन-देन करने वाले सक्रिय ट्रेडर्स को इनके सामने लाभ के मामले में काफी नुकसान होता है। लेकिन ऐसी सफलता का कारण क्या है? यही है जिसकी आज के आर्टिकल में चर्चा की जाएगी।

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ट्रेडिंग रणनीति क्या है?

ट्रेडिंग रणनीति एक पूर्व-निर्मित कार्य योजना है जिसका उपयोग ट्रेडर वित्तीय बाजारों में एसेट  से डील करने के लिए करेगा।

सही रणनीति में ये सब शामिल होता है:

  • निश्चितता: बाजारों की गतिशीलता और अस्थिरता के बावजूद, रणनीति कुछ स्थिरता बनाए रखने में मदद करती है। एक ट्रेडर के रूप में, आप समझते हैं कि आप कहाँ और क्यों जा रहे हैं, साथ ही साथ आपका अंतिम लक्ष्य भी।
  • चेतना: अक्सर, नए सीखे हुए निवेशक निर्णय लेते समय भावनाओं के आगे झुक जाते हैं, जो सामान्य रूप से उनकी संपत्ति और गतिविधियों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। एक अच्छी रणनीति उन्हें घबराने और जल्दबाजी में कार्रवाई करने से रोकेगी।
  • प्रभावी समय प्रबंधन: ट्रेडिंग रणनीति बनाते समय मुख्य बात प्रक्रिया और विकसित नियमों को स्वचालित करना है। यह आवश्यक है तांकि आप वर्तमान स्थिति का विश्लेषण करते हुए दिनों के अंत तक कंप्यूटर के सामने न बैठें।
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इस बात पर जोर दिया गया है कि ट्रेडिंग रणनीति केवल आपके लक्ष्यों और अपेक्षाओं की एक सूची नहीं है, बल्कि आपके भविष्य के कार्यों के स्पष्ट रूप से परिभाषित नियम और विशेषताएं हैं। लक्ष्यों और वित्त के आधार पर इन रणनीतियों को लगातार संशोधित किया जाता है। हालांकि, एक सफल ट्रेडिंग रणनीति विकसित करने के लिए बहुत समय और प्रयास की आवश्यकता होती है।

ट्रेडिंग रणनीति बनाने से पहले आपको क्या जानना चाहिए

यहां दो पॉइंट दिए गए हैं जिन्हें आपको अपनी ट्रेडिंग रणनीति बनाने से पहले जानना आवश्यक है।

1. अपने स्किल्स का आकलन करें

वित्तीय बाजारों और ट्रेडिंग में अपने ज्ञान और स्किल्स के स्तर को निर्धारित करना महत्वपूर्ण है। आपकी कार्यशील ट्रेडिंग रणनीति बनाने के लिए बाजारों के साथ-साथ मौजूदा रणनीतियों के बारे में जानकारी का अध्ययन करना आवश्यक है। केवल पहले से बनी हुई रणनीतियों का उपयोग करना प्रभावी नहीं है। हालांकि, अन्य ट्रेडर्स के कुछ सुझावों और साथ ही शुरुआत में उनकी गलतियों पर ध्यान देना उपयोगी हो सकता है तांकि आप अपनी खुद की प्रभावी ट्रेडिंग रणनीति का निर्माण कर सकें।

नया ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमेशा बाजार अनुसंधान और वित्तीय रिपोर्ट देखें।

2. अपने लक्ष्य निर्धारित करें

प्रत्येक क्रिया का एक उद्देश्य होना चाहिए, और ट्रेडिंग कोई अपवाद नहीं है। आपकी ट्रेडिंग रणनीति अद्वितीय होनी चाहिए और आपके अपने लक्ष्यों और अनुरोधों के अनुरूप होनी चाहिए। अपने लक्ष्यों को समझने से आपको ट्रेडिंग पर कितनी पूंजी खर्च करने के लिए त्यार है इसका निर्धारण करने में भी मदद मिलेगी।

इसके अलावा, यह निर्धारित करना आवश्यक है कि आप कितनी आय की अपेक्षा करते हैं और क्या आप लॉन्ग-टर्म या शोर्ट-टर्म पोजीशन खोलने की योजना बना रहे हैं। इन सवालों के जवाब देकर ही आप अपने अंतिम लक्ष्य को परिभाषित कर पाएंगे।

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किसी भी ट्रेडिंग रणनीति के मुख्य बिंदु

अब आइए उन पॉइंट्स को देखें, जिन पर आपको अपनी रणनीति बनाते वक़्त ध्यान देना चाहिए।

1. बुनियादी इंडीकेटर्स और/या चार्ट पैटर्न परिभाषित करें

तकनीकी विश्लेषण आपको यह निर्धारित करने या भविष्यवाणी करने में मदद करता है कि किसी परिसंपत्ति की कीमत में क्या बदलाव हो सकता है। तकनीकी विश्लेषण करते समय, उन इंडीकेटर्स की ओर ध्यान देना जरूरी है, जो चार्ट में विशेष रूप से जोड़े गए हैं। ऐतिहासिक कीमतों पर आधारित मैथमेटिकल कैलकुलेशन की सहायता से, ये इंडीकेटर्स आगामी मूल्य दिशा के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। अक्सर, निवेशक एक अनूठी रणनीति बनाने के लिए इंडीकेटर्स और पैटर्न को जोड़ते हैं, लेकिन इन विधियों का अलग से उपयोग किया जा सकता है।

पैटर्न रेखाएं और आकार होते हैं जो प्राइस चार्ट पर दिखाई देते हैं। उनका उपयोग फ्यूचर प्राइस मूवमेंट्स की भविष्यवाणी करने के लिए भी किया जाता है।

शुरुआती लोगों को सलाह दी जाती है कि वे चार्ट पैटर्न के बजाय इंडीकेटर्स की ओर रुख करें क्योंकि पैटर्न को अधिक सब्जेक्टिव माना जाता है। पोजीशन और कीमतों में उतार-चढ़ाव का शीघ्र अनुमान लगाने की क्षमता के बावजूद, आपको केवल उन पर भरोसा नहीं करना चाहिए।

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आप मौलिक विश्लेषण(फंडामेंटल एनालिसिस) का भी उपयोग कर सकते हैं। हालांकि, नौसिखिए निवेशक के लिए यह काफी मुश्किल हो सकता है। यह मौलिक कारकों की अप्रत्याशितता के कारण है। ट्रेडिंग रणनीति बनाने के लिए हमेशा इस्तेमाल किया जा सकने वाला एकमात्र डेटा आर्थिक रिलीज और कंपनियों की अर्निंग रिपोर्ट है।

2. एंट्री पॉइंट्स खोजें

एंट्री पॉइंट्स वे पॉइंट्स हैं जहां आपको एक पोजीशन खोलनी चाहिए। एंट्री पॉइंट्स को निर्धारित करने के लिए, आपको बाजार की वॉल्यूम और औसत मूल्य में उतार-चढ़ाव का मूल्यांकन करने की आवश्यकता है। एंट्री पॉइंट्स को परिभाषित करने के लिए पैटर्न और इंडिकेटर सिग्नल्स का उपयोग किया जाता है।

इस व्यवसाय में मुख्य बात उस मौके को ना खोना है जब कीमत अपने चरम / निचले स्तर पर पहुंच गई हो। आप इसे संपत्ति के मूल्य के इतिहास के माध्यम से स्क्रॉल करके निर्धारित कर सकते हैं, अपने लिए इसके विकास / गिरावट के क्षणों को उजागर कर सकते हैं।

3. जोखिम मापें

जोखिम केवल आपकी संपत्ति या निवेश की कीमतों में संभावित पतन नहीं है। यह तकनीकी विफलताओं (उदाहरण के लिए, सर्वर की अप्रत्याशित विफलता), कंपनी के दिवालिया होने और अन्य खतरों के कारण हो सकता है।

आपको ट्रेडिंग के लिए फंड की राशि और एक निश्चित अवधि के दौरान आप कितना जोखिम उठा सकते हैं, यह निर्धारित करना चाहिए। यह रिस्क/रिवॉर्ड अनुपात की गणना करने में मदद करेगा, जो एक ट्रेड के लिए अपेक्षित रिटर्न की तुलना में आपके द्वारा वहन किए जा सकने वाले जोखिम की मात्रा को दर्शाता है। 1:2 और 1:3 के निर्धारित अनुपात हैं जिनका आप उपयोग कर सकते हैं। लेकिन याद रखें कि संभावित इनाम हमेशा संभावित नुकसान से अधिक होना चाहिए।

4. एग्जिट पॉइंट्स निर्धारित करें

बाजार की सभी विशेषताओं, परिसंपत्तियों की आवाजाही के इतिहास और उनके मूल्य में उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखते हुए, आप समझ सकते हैं कि ट्रेड से बाहर निकलने का सबसे अच्छा समय कब है। साथ ही, कैंडलस्टिक और चार्ट पैटर्न में कीमत कितनी दूर तक बढ़ेगी/गिरेगी इसके पूर्व निर्धारित नियम होते हैं। यह एग्जिट पॉइंट्स को दर्शाता सकता है।

उपसंहार

एक ट्रेडिंग रणनीति बनाना आपकी भविष्य की बाजार गतिविधियों की नींव है। अपनी रणनीति बनाते समय, आपको सूचना के विभिन्न स्रोतों के साथ-साथ ट्रेडिंग विधियों पर भी ध्यान देना चाहिए। जब तक आप अपनी खुद की स्ट्रेटेजी का विकास नहीं करते तब तक प्रयोग करने और विभिन्न तरीकों का प्रयास करने से मत डरो।डिस्क्लेमर: कोई भी रणनीति ट्रेड के 100% सही परिणाम की गारंटी नहीं दे सकती है।

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